चलो हो गयी अब इश्क़ इबादत यारी बहुत,
अब जिंदगी को कुछ नए अर्थो में समझा जाये
आखो में सपने कुछ मेरे आज भी सुलगते है जो ,
मन में है अब नहीं मौत जिंदगी का फर्क कोई
तो तू ही बता अब क्या बचा है खोने को ,
फिर क्यों न हर उस हद से गुजरा जाये।
अब जिंदगी को कुछ नए अर्थो में समझा जाये
आखो में सपने कुछ मेरे आज भी सुलगते है जो ,
मन में है अब नहीं मौत जिंदगी का फर्क कोई
तो तू ही बता अब क्या बचा है खोने को ,
फिर क्यों न हर उस हद से गुजरा जाये।