Thursday, January 21, 2016

चलो हो गयी अब  इश्क़  इबादत  यारी बहुत,
अब जिंदगी को कुछ नए अर्थो में समझा जाये
आखो में सपने कुछ मेरे आज भी सुलगते है जो ,
  मन  में है अब नहीं मौत जिंदगी का फर्क कोई
तो तू ही बता अब  क्या बचा है खोने को  ,
 फिर क्यों न हर उस हद से गुजरा  जाये।
तुझे चाँद में देख लेते है ,
        मन हुआ तो कभी तुझको में भी ढूढ़ लेते है  
ग़र सर्द हवा चली भोर में
        तेरी यादो का कम्बल लपेट लेते है
क्या करे बानी अब तेरी याद में
        अब तेरी याद में हर रात छत पर सोते है