तुझे चाँद में देख लेते है ,
मन हुआ तो कभी तुझको में भी ढूढ़ लेते है
ग़र सर्द हवा चली भोर में
तेरी यादो का कम्बल लपेट लेते है
क्या करे बानी अब तेरी याद में
अब तेरी याद में हर रात छत पर सोते है
मन हुआ तो कभी तुझको में भी ढूढ़ लेते है
ग़र सर्द हवा चली भोर में
तेरी यादो का कम्बल लपेट लेते है
क्या करे बानी अब तेरी याद में
अब तेरी याद में हर रात छत पर सोते है
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