Friday, October 9, 2009

महफिल -ऐ - हुसन

.....महफिल -ऐ - हुसन सजाओ तो कोई बात बने ..
दौलत -ऐ - इश्क लुटाओ तो कोई बात बने
जाम -ऐ -सागर से नही पीना गवारा हमको ..
अपनी निगाहों से पिलाओ तो कोई बात बने ..

No comments:

Post a Comment