reshdoll
Friday, October 9, 2009
राज़ -ऐ-सहर
जुबा खामोश है लेकिन ..
दिल में कशीश कोई तो अभी काफी है ..
राज़ खोल ढाल दिल के सारे ..
अभी रात से सहर का सफर बाकी है
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