दूड्ती पागल सी होगी तुमारी कुछ आँखे ...
कुछ हम भी आवारगी पे बह रहे होगे .....
दोस्तों के भीड़ में खोने की करोगे कोशिश जो ...
उतना ही ख़ुद को मेरी बाहों से महरूम पाओगे ....
इरादे करता नही में अब जो कुछ तुम्हे अब पाने की ......
मुक़दर ही कुछ बनाने ना तुने दिया ऐसा ...
तो भी तेरी सुलगती रातो में मेरे ही सपने होगे ...
तुमारे दिल में कुछ वोह कसक छोड़ जाऊंगा ...
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